अनलॉक-1 के बाद से लगातार बढ़ रहीं आर्थिक गतिविधियां, ग्रॉसरी और फार्मा सेक्टर में तेजी से बढ़ा फुटफॉल
देश में आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे कोविड-19 से पहले के स्तर की ओर बढ़ रही हैं। गूगल की ताजा कोविड-19 कम्युनिटी मोबिलिटी रिपोर्ट से इसका संकेत मिला है। गूगल की यह मोबिलिटी रिपोर्ट 6 प्रमुख लोकेशन कैटेगिरी जैसे रिटेल एंड मनोरंजन, ग्रॉसरी एंड फार्मेसी, ट्रांसपोर्ट हब, पार्क, वर्कप्लेस और आवासीय क्षेत्रों में फुटफॉल पर आधारित होती है।
1 जून के बाद से लगातार बढ़ रही गतिविधियां
गूगल की रिपोर्ट के मुताबिक, इन स्थानों पर 1 जून के बाद गतिविधियों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। 1 जून के बाद सबसे ज्यादा ग्रॉसरी और फार्मा सेक्टर में फुटफॉल बढ़ा है। इसके बाद वर्कप्लेस का नंबर आता है। ट्रांसपोर्ट हब, पार्क और रिटेल एंड मनोरंजन सेक्टर में फुटफॉल में सुधार आया है। भारत ने दुनिया के सबसे लंबे लॉकडाउन के बाद 1 जून से अनलॉक-1 लागू किया था। इसके तहत 8 जून से आर्थिक गतिविधियों में अधिक छूट दी गई था।
महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित
गूगल की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के कारण महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इन राज्यों में ग्रॉसरी स्टोर और फार्मेसी में विजिट राष्ट्रीय औसत के मुकाबले काफी कम है। बेसलाइन के मुकाबले दिल्ली में विजिट 26 फीसदी, महाराष्ट्र में 25 फीसदी और तमिलनाडु में 22 फीसदी कम है। बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश में यह गतिविधियां कोविड-19 से पहले के स्तर पर पहुंच गई हैं।
सुधार के बाद भी चिंता बरकरार
आर्थिक गतिविधियों में सुधार के संकेत के बाद भी चिंता बरकरार है। ग्रॉसरी और फार्मसी को छोड़कर अभी कोई भी कैटेगिरीबेसलाइन तक नहीं पहुंची है। वर्कप्लेस, ट्रांसिट स्टेशन, पार्क, रिटेल एंड मनोरंजन क्षेत्रों में फुटफॉल अभी भी बेसलाइन से नीचे है।
लोकेशन डेटा के आधार पर तैयार होती है रिपोर्ट
गूगल ने इस साल की शुरुआत में कम्युनिटी मोबिलिटी रिपोर्ट लॉन्च की थी। यह रिपोर्ट लोगों की मूवमेंट को ट्रैक करती है। गूगल की ये रिपोर्ट यूजर्स के लोकेशन डेटा पर आधारित है। इसमें भी वो यूजर्स हैं, जिन्होंने लोकेशन डेटा कलेक्ट करने की परमिशन दी थी। यह रिपोर्ट भारत समेत पूरी दुनिया के 131 देशों को कवर करती है। रिपोर्ट 6 प्रमुख लोकेशन कैटेगिरी में बेसलाइन के मुकाबले फुटफॉल में आए बदलाव को दर्शाती है। बेसलाइन 3 जनवरी से 6 फरवरी के मध्यफुटफॉल के औसत के आधार पर निर्धारित किया गया है।
पेट्रोलियम उत्पादों की खपत भी बढ़ी
आर्थिक रिकवरी के संकेत इस बात से भी मिलते हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के कारण देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में बढ़ोतरी हुई है। लॉकडाउन के कारण देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत घटकर 2007 के स्तर पर पहुंच गई थी। पिछले महीने यानी जून में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत बढ़कर 88 फीसदी तक पहुंच गई है। इसके अलावा सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाले बिटुमिन की मांग में भी जून 32 फीसदी की तेजी आई है।
एनर्जी मांग में बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत
लॉकडाउन के कारण गिरावट का सामने कर रही पावर और ओवरऑल एनर्जी की मांग भी लगातार कोविड-19 से पहले के स्तर की ओर बढ़ रही है। एनर्जी की खपत खासतौर पर बिजली और रिफाइनरी उत्पाद की मांग में बढ़ोतरी सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था में सुधार का संकेत देते हैं। यह संकेत ऐसे समय में दिख रहे हैं जब मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां ऐतिहासिक लो पर पहुंच गई हैं और जून में इनडायरेक्ट टैक्स में रिकॉर्ड गिरावट आई है।
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