एनडीए में करोड़पति, तो महागठबंधन में क्रिमिनल केस वाले ज्यादा; कांग्रेस के अनुनय सबसे अमीर
बिहार में दूसरे फेज के लिए नॉमिनेशन हो चुके हैं। दूसरे फेज की 94 सीटों के लिए 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वैसे तो इन 94 सीटों पर कई सारे कैंडिडेट्स हैं, लेकिन सीधी लड़ाई जिन दो गठबंधनों के बीच है, वो है महागठबंधन और एनडीए। हमने इन दोनों गठबंधनों के 188 कैंडिडेट्स के एफिडेविट का एनालिसिस किया। इन 188 कैंडिडेट्स में से 144 करोड़पति हैं। वहीं, इनमें से 104 पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
करोड़पति कैंडिडेट्सः 188 में से 144 के पास 1 करोड़ से ज्यादा संपत्ति
एनडीए और महागठबंधन के 188 में से 144, यानी 77% कैंडिडेट्स ऐसे हैं, जिनके पास 1 करोड़ या उससे ज्यादा की संपत्ति है। इस हिसाब से सिर्फ 44 कैंडिडेट ही करोड़पति नहीं हैं। इनमें से एनडीए के ज्यादातर कैंडिडेट्स करोड़पति हैं। एनडीए के 94 में से 79 यानी 84% और महागठबंधन के 65 यानी 69% कैंडिडेट्स करोड़पति हैं।
कांग्रेस के अनुनय सिन्हा सबसे ज्यादा अमीर हैं। उनके पास 46.10 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इसमें से 44.23 करोड़ रुपए की अचल और 1.86 करोड़ रुपए की चल संपत्ति है। अनुनय मुजफ्फरपुर की पारू सीट से लड़ रहे हैं। अनुनय के बाद जो सबसे अमीर हैं, वो भी कांग्रेस के ही हैं। भागलपुर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अजीत शर्मा के पास 40.27 करोड़ रुपए की संपत्ति है। हालांकि, पिछले बार के मुकाबले उनकी संपत्ति थोड़ी कम हुई है। 2015 में इनके पास 40.57 करोड़ रुपए की संपत्ति थी।
क्रिमिनल कैंडिडेट्स: 188 में से 104 के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज
साफ राजनीति की कितनी ही बात हो, लेकिन चुनावों में राजनीतिक पार्टियां दागियों को जरूर उतारती हैं। दूसरे फेज में महागठबंधन और एनडीए के 188 में से 104, यानी 55% से ज्यादा कैंडिडेट्स के ऊपर क्रिमिनल केस चल रहे हैं।
दागी उम्मीदवारों को उतारने में महागठबंधन आगे है। महागठबंधन के 94 में से 59 (63%) कैंडिडेट्स और एनडीए के 45 (48%) कैंडिडेट्स के ऊपर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। राजद के रितलाल यादव पर सबसे ज्यादा 14 मामले दर्ज हैं। रितलाल दानापुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके ऊपर हत्या, हत्या की कोशिश, रंगदारी, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामले हैं। हालांकि, किसी भी मामले में उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है।
दूसरे नंबर पर मटिहानी से जदयू उम्मीदवार नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह हैं, जिनके ऊपर 13 केस दर्ज हैं। हालांकि, उन पर ज्यादातर केस आचार संहिता उल्लंघन के हैं।
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