सीट चला गया जदयू को, लेकिन वोट तो उसको नहिए देंगे, और सभे के जदयू को वोट देवे से मना भी करेंगे
‘अरे सर आप नहीं जानते हम लोगों को...हम लोग ...से हैं। आप जानवे करते हैं कि ई किसका संगठन है। हम लोगों का सीट चला गया जदयू को, लेकिन वोट तो उसको नहिए न देंगे।’ ये लाइन सुनकर और इसे पढ़कर कोई भी चौंक जाएगा। चौंक तो हम भी गए थे, जब ये लाइन हमें सुनाई दी।
अब आप पूछिएगा कि क्यों? ...तो जवाब भी जान लीजिए। ये लाइन कहने वाले लड़के उस पार्टी के छात्र संगठन के कार्यकर्ता हैं, जो एनडीए में नीतीश कुमार की जदयू के साथ गठबंधन और बिहार की सरकार में भागीदार है। इस छात्र संगठन का नाम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) है और ये भारतीय जनता पार्टी का छात्र संगठन है।
बात चंद रोज पहले की है। हम वैशाली जिले के जंदाहा इलाके में थे। बाजार से करीब तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर मुनेश्वर सिंह मुनेश्वरी समता कॉलेज है। हम इसी कॉलेज में थे। हमें वहां के प्रिंसिपल की तलाश थी। कैंपस के अंदर वाली बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर दाहिनी तरफ कुछ बेंच लगी हुई थीं। तीन लड़के सामने से और कुछ दो-तीन लड़के दाएं-बाएं बैठे हुए थे। इनसे कॉलेज के प्रिंसिपल के बारे में पूछा तो पता चला, छुट्टी है, वो नहीं आए हैं। दूसरे स्टाफ के बारे में बताया और नई बिल्डिंग में उनसे मिलवाने के लिए सब साथ चल पड़े। ये सभी ग्रेजुएशन के छात्र थे। उस दिन फॉर्म भरने आए थे। जैसे-जैसे कदम बढ़ रहे थे, वैसे-वैसे हम उनकी गति पकड़ती बातें सुन रहे थे।
मैंने इन सभी से सीधा सवाल किया- इस इलाके में चुनाव की क्या तैयारी है? जवाब थोड़ा आश्चर्य में डालने वाला था। लड़कों के इस ग्रुप को लीड करने वाले शख्स ने कहा...अरे सर आप नहीं जानते हम लोगों को... हम लोग ABVP से हैं। सीट चला गया जदयू को, लेकिन वोट तो उसके नहिए देंगे। हम लोग अपनी पार्टी और कंडीडेट के लिए काम करते रहे इतने दिन। आपको पते है कि जंदाहा महनार विधानसभा में आता है। चाहते थे कि ई सीट भाजपा के पास आ जाए। लेकिन, ई नीतीशे कुमार जो है न...उ दिया ही नहीं। अपने पासे रख लिया। अब उनका जो विधायक है... उ ई इलाका में कोई काम किया है क्या? आप खुदै चल के देख लें, पता कर लें। सब दिखावा चल रहा है। त हमहूं लोग दिखावा में साथे हैं। बाकी तो उसको ई सीट से हरवैवे करेंगे। हम लोग तो वोट देवे नहीं करेंगे और सभे के जदयू को वोट देवे से मना भी करेंगे। साफ बात।
अब है तो ये हैरान कर देने वाली ही बात। चंद कदम की दूरी तय करने में ही इतनी बड़ी बात सामने आ गई। खैर इस बातचीत के सहारे चुनाव की कहानी बुनते हुए हम आगे बढ़ गए ... लेकिन हमारे मन में उन लड़कों की बात कौंधती रही। इसकी वजह भी थी। ये लड़के जो भी बात कह रहे थे, वो बगैर किसी डर के और बेफिक्र हो कर कह रहे थे। उन्हें किसी बात की चिंता नहीं थी। कौन क्या सोचेगा और क्या कहेगा? सारी चिंताओं से एकदम बेफिक्र। भले ही इन लड़कों की उम्र कम हो, अभी पढ़ाई कर रहे हों, लेकिन इनकी बातें काफी बड़ी और गंभीर थीं। जो सोचने पर हर किसी को मजबूर कर दें। इनकी बातें इसलिए भी गौर करने वाली हैं कि इस वक्त बिहार में जहां-तहां यही नजारा दिख रहा है। इसी इलाके में कई जगह ऐसी ही बेलाग बातें सुनने में आईं।
हमारी गाड़ी का ड्राइवर भी इस माहौल में कहां चुप रहने वाला था। बोला, सर खाली यहीं नहीं बहुते जगह यही हाल है। ई सब पार्टी वाला मिलके इस बार जो खिचड़ी पकाया है, जनता भी इसका जवाब वैसा ही देगी। ‘गठबंधन धर्म’ के इसी किंतु-परंतु के साथ कुछ नए सवाल लिए हम अपने अगले पड़ाव की ओर निकल पड़े।
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