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क्या मंदी से उबर रही है ऑटो इंडस्ट्री? कोरोना के बावजूद कार-बाइक ज्यादा खरीद रहे हैं लोग

देश में ऑटो सेक्टर ने 15 महीने की मंदी के बाद उबरना शुरू किया ही था कि कोरोना आ गया। ये ऑटो इंडस्ट्री के लिए एक तरह से ‘गरीबी में आटा गीला’ वाली कहावत जैसा था। लेकिन, अब ऑटो इंडस्ट्री की हालत सुधर रही है। ये हम नहीं, बल्कि आंकड़े कह रहे हैं।

देश के अनलॉक होने के साथ ही ऑटो सेक्टर की मंदी भी अनलॉक होने लगी है। आंकड़े आपको नीचे बताएंगे, लेकिन इसे ऐसे समझिए कि इस साल फेस्टिव सीजन में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा कारें और ज्यादा स्कूटी-बाइकें बिकी हैं। अब आते हैं आंकड़ों पर।

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (SIAM) हर महीने की बिक्री पर डेटा जारी करता है। इसके डेटा पर नजर डालें तो इस साल फेस्टिव सीजन यानी सितंबर-अक्टूबर के महीने में 44.85 लाख 2-व्हीलर और 4-व्हीलर बिकी हैं। जबकि, पिछले साल इन्हीं दोनों महीनों में 38.99 लाख बिक्री हुई थी। यानी, इस साल फेस्टिव सीजन में 2-व्हीलर और 4-व्हीलर की बिक्री पिछले साल के मुकाबले 15% ज्यादा हुई है।

जुलाई तक बिक्री धीमी रही, लेकिन उसके बाद तेजी से बढ़ी

2020 कई मायनों में खास रहा। सबसे बड़ा कारण तो कोरोना ही है। दूसरा, ये कि इस साल वो सबकुछ हो रहा है, जिसके बारे में कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा। ऐसा ही ऑटो इंडस्ट्री के साथ भी हुआ। इस साल अप्रैल में एक भी 4-व्हीलर या 2-व्हीलर नहीं बिकी। हालांकि, इसकी वजह लॉकडाउन था।

इस साल जनवरी से लेकर जुलाई तक 2-व्हीलर और 4-व्हीलर की बिक्री पिछले साल के मुकाबले कम ही रही। लेकिन, अगस्त से बिक्री बढ़नी शुरू हो गई। अगस्त से अक्टूबर तक 3 महीने में 62.58 लाख गाड़ियां बिकीं। जबकि, पिछले साल इन्हीं तीन महीनों में 56.02 लाख गाड़ियां बिकी थीं। यानी, अगस्त से अक्टूबर 2020 में 2019 के मुकाबले 12% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

हालात सुधर रहे, फिर भी ऑटो इंडस्ट्री की हालत अच्छी नहीं

आंकड़े तो कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद ऑटो इंडस्ट्री के हालात सुधरने लगे हैं। लेकिन, यही आंकड़े ये भी कहते हैं कि हालात सुधरने के बावजूद भी ऑटो इंडस्ट्री की हालत बहुत अच्छी नहीं है। ऑटो इंडस्ट्री की हालत पिछले साल से ही बिगड़नी शुरू हो गई थी और कोरोना ने इसको बद से बदतर कर दिया।

SIAM का ही डेटा बताता है कि 2019-20 यानी अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 2.15 करोड़ व्हीकल्स बिके थे। इसमें 4-व्हीलर, 2-व्हीलर, 3-व्हीलर और कमर्शियल व्हीकल का डेटा भी शामिल है। जबकि, इस साल अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक सिर्फ 93.12 लाख व्हीकल ही बिके हैं। हालांकि, अभी ये फाइनेंशियल ईयर खत्म होने में 5 महीने बाकी हैं और सुधार की उम्मीद भी बाकी है।

कितनी बड़ी है ऑटो इंडस्ट्री?

  • SIAM के मुताबिक, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का देश की GDP में 7.1% का योगदान है। ये इंडस्ट्री 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देती है। इसमें से 80 लाख रोजगार सीधे तौर पर इससे जुड़े हैं।
  • अभी हम 2-व्हीलर बनाने के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर हैं। जबकि, हैवी बस बनाने में दूसरे, हैवी ट्रक बनाने में तीसरे, कार बनाने में चौथे और कमर्शियल व्हीकल बनाने में 7वें नंबर पर हैं।
  • 2019 में हमारे देश में 3.09 करोड़ व्हीकल्स का प्रोडक्शन हुआ है, जो 2018 के मुकाबले 6.2% ज्यादा है। 2018 में 2.90 करोड़ व्हीकल्स बने थे।
  • 2026 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री बनने का टारगेट है। उस समय इस इंडस्ट्री का GDP में योगदान 12% होगा और इससे 6.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा।
  • इस साल 17 नवंबर तक केंद्र और राज्य सरकारों को गाड़ियों पर लगने वाले अलग-अलग टैक्स से 34,470 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला है। जबकि 2019 में 50,536 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला था।


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