Rahat Indori Shayari
राहत इन्दोरी शायरी
- में आखिर कौन सा मौसम तेरे नाम कर देता
यहाँ हर मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी - अपनी हालत का खुद एहसास नहीं मुझ को
मैंने औरो से सुना है के परेशान हूँ में - जुगनुओं को साथ लेकर रात रोशन की जिए
रास्ता सूरज का देखा तो सहर हो जाएगी - हम से पहले भी मुसाफिर कई गुजरे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटा जाते - उंगलियां यू ना सब पर उठाया करो, खर्च करने से पहले कमाया करो
जिंदगी क्या है खुद ही समझ जाओगे,बारिशों में पतंगे उड़ाया करो - आंख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो,जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
एक ही नदी के है ये दो किनारे दोस्तों,दोस्ताना जिंदगी से, मौत से यारी रखो - शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे - फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं। - दिन ढल गया और रात गुज़रने की आस में
सूरज नदी में डूब गया, हम गिलास में - गुलाब, ख़्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या-क्या है
मैं आ गया हूँ, बता इंतज़ाम क्या क्या है
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